मन के शब्द एक सवाल ही तो पूछा था
उसने ,
और होठों के बोलों में आसान था जिसका जवाब I
अंतर होता है I सोचने की क्या जरुरत थी ?
काफी अंतर , मेरे भी मन को मिला जाता
जिससे एक साथी ,
कभी-कभी शब्द जो मेरे शब्दों को ऐसे मरने के लिए नहीं छोड़ेगा I
मेरे शब्द भी बोलेंगे इक दिन I
रूठ से जाते हैं I
जिस दिन विद्रोह होगा
और हम कहते हैं अन्दर से आएगी एक आवाज़
इस दफे , उन्हीं विद्रोही शब्दों में सनी हुई
हमारा मन और तब मिलेगी उन्हें आजादी
चुप सा हो गया है I भावनायों और यादों के चीथरों से ..........
अन्दर की आवाज़
दब सी गयी है I
अन्दर ही कहीं
डर रही है शायद
कि
उसे बहला कर
फिर
अन्दर ही छोड़ दिया जाएगा
उसने ,
और होठों के बोलों में आसान था जिसका जवाब I
अंतर होता है I सोचने की क्या जरुरत थी ?
काफी अंतर , मेरे भी मन को मिला जाता
जिससे एक साथी ,
कभी-कभी शब्द जो मेरे शब्दों को ऐसे मरने के लिए नहीं छोड़ेगा I
मेरे शब्द भी बोलेंगे इक दिन I
रूठ से जाते हैं I
जिस दिन विद्रोह होगा
और हम कहते हैं अन्दर से आएगी एक आवाज़
इस दफे , उन्हीं विद्रोही शब्दों में सनी हुई
हमारा मन और तब मिलेगी उन्हें आजादी
चुप सा हो गया है I भावनायों और यादों के चीथरों से ..........
अन्दर की आवाज़
दब सी गयी है I
अन्दर ही कहीं
डर रही है शायद
कि
उसे बहला कर
फिर
अन्दर ही छोड़ दिया जाएगा
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