Wednesday, November 16, 2011

निदा फाजली

नई नई पोशाक बदलकर मौसम आते जाते हैं
फूल कहाँ जाते हैं जब भी जाते हैं लौट आते हैं


चलती फिरती धूप छाँव से चेहरा बाद में बनता है
पहले पहले सभी ख्यालों से तस्वीर बनाते हैं

शायद कुछ दिन और लगेंगे जख्मे दिल के भरने में

जो अक्सर याद आते थे वो कभी कभी याद आते हैं

The rainbow at Baga

It’s nearly 0.5-0.6 Km walk from the parking zone to my office in plant area. It’s an often over-looked benefit of working in a hazardous ...